बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है? बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है?
आँखें मौसम की मारे पिचकारी, के आजा रंग खेलें रसिया । आँखें मौसम की मारे पिचकारी, के आजा रंग खेलें रसिया ।
पर्वतों पर चाँँदनी बिछने लगी शीत ऋतु का आगमन है मेघ मंडराने लगे हैं घाटियों में पवन पर्वतों पर चाँँदनी बिछने लगी शीत ऋतु का आगमन है मेघ मंडराने लगे हैं घाट...
दिल ढूंढता है नज़र जाती है जहां तक ! दिल ढूंढता है नज़र जाती है जहां तक !
बचपन से देखी एक मूर्त कहते जिसे हम माँ की सूरत, थामकर उंगली ,सिखाया चलना दिखाया प बचपन से देखी एक मूर्त कहते जिसे हम माँ की सूरत, थामकर उंगली ,सिखाया चलना...
हम किसी न किसी रूप में अपनी चाहत को वक्त करते हैं। हम किसी न किसी रूप में अपनी चाहत को वक्त करते हैं।